दोस्तों जीवमण्डल क्यों बना यह प्रश्न काफी जटिल है. धर्मशास्त्र और विज्ञान इसकी अलग अलग व्याख्या करते है. जीव जगत काफी विशाल है. बहुत से जीव अभी भी है ,जिनका खोज अभी जारी है . जीव जगत में मानव ही सर्बश्रेष्ठ विकसित प्राणी है .समुद्र में और धरती पर अभी बहुत जीव है जिनकी पहचान नहीं हो पायी है.
पुरे संसार में चाहे धरती हो चाहे आसमान, चाहे नदी, झील हो, समुद्र हो हर जगह जीव गति करता हुआ मिलेगा .जीव मण्डल की यह सच्चाई है जिसे हम सब जानते है और महसूस भी करते है.
अगर हम देखें तो पाते है कि हर जगह ऊर्जा के लिए लड़ाई हो रही है . इस धरती पर ऊर्जा वितरण का एक क्रम पाया जाता है. इसी व्यवस्था से प्रथम उपभोक्ता ,दुतीय उपभोक्ता , तृतीय उपभोक्ता का जन्म होता है.
मानव भी अपने भोजन की आवश्यकता के लिए आदिमसमाज में शिकार करता था. समाज के विकास क्रम में जब हम आज आधुनिक समाज को देखते है .हम पाते है कि यह आधुनिक समाज क्रमिक विकास का नतीजा है .मानव ने काफी विकासयात्रा किया है .
गतिशीलता को कुछ विद्वान् मानव जीवन का उदेश्य मानते है लेकिन इस पर मतभेद है. जीवन एक यात्रा है ऐसा शेक्सपीयर भी मानते है .
दोस्तों यहाँ पर जीव का बैज्ञानिक विश्लेषण करना उचित नहीं है .मै यहाँ मानव जीवन को कैसे बेहतर बनाये इसी पर अपना विचार रखा हूँ . दोस्तों शेक्सपीयर का विचार खुद मानव को एक रास्ता दिखाता है. हम रुके नहीं चलते रहे दुनिया दारी निभाए. यही जीवन जीने का सही तरीका है.
प्यारे दोस्तों जहाँ तक भी मेरी बात पहुँच रही है, मेरे विचार का उचित तरीके से अध्धयन कर ले, यदि सही लगे तभी आपनाये. अगर मेरा विचार गलत नजर आता है तो उसको ना अपनाये .जीवन में हमें कई विचारों में जो बेहतर हो उसको लेकर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए .
दोस्तों कमेन्ट, लाइक, शेयर ,जरूर करें. थैंक्स.
Verynice