इन विचारों को नियंत्रित करना पड़ता है.
मनो बल ही सर्बोच्च शक्ति है परन्तु नकारात्मक विचार रोकना भी मानव के हित में होगा. मन बहुत चंचल होता है,एक ही पल में बहुत कुछ पा लेने की चाह होती है .
जब की ब्याहारिक जीवन में ऐसा नहीं होता है. मन की शक्ति बहुत विशाल होती है . मानसिकबल संसार के सभी बलों से मजबूत होता है . आज हम जो भी विकास देख रहे है, वह मन के शक्ति का नतीजा है.
मन क्या है —मन मानवीय संवेदना का केंद्र स्थल है.
कुछ विद्वान इसे मन की शक्ति के रूप में मानते है.
अतीत काल में साहित्यकारों, विचारको ,ने भी मन की शक्ति का वर्णन किया है.
आधुनिक शासन पद्धति ,भैतिक विकास ,मानव मन कि ही देन है.
नासा, इसरो, यूरोपीय एजेंसी, आदि की कल्पना किसी मानव मन ने सर्वप्रथम की होगी. जो आज संसार में विकास का रास्ता बन रहा है.
दुनिया में विकास का अनेक मॉडल उत्पन्न हुआ है. यह मानव मन के सोच से हुआ है.
अगर हम यह कहे कि भैतिक ,आधात्मिक उन्नति मानव मन के शक्ति से ही उतपन्न हुआ है.
पूँजीवाद ,मार्क्सवाद, बैज्ञानिक विचारधारा का जन्म मन के ही शक्ति से हुआ है.
मन की शक्ति असीमित है .मन की संवेदना पर कुछ नकारात्मक चीजें भी देखने को मिलती है .सपना देखना चाहिए ,लेकिन सपना देखने से ही सब कुछ नहीं हो जाता है ,इसके लिए प्रयास भी करना पड़ता है .
जब मन की संवेदना नकारात्मक हो तब इसे नियंत्रित भी करना पड़ता है.
यदि मन में हिंसा, बैमनस्य, के विचार आये तो इन्हे रोकना जरुरी है, नहीं तो विनाश के नये रूप की शुरुआत होती है .
अनेक महापुरुष दुनिया को नयी दिशा दे पाए ,इसमें उनके मन की ही शक्ति थी.
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Nice