रासायनिक खाद क्या है –विभिन्न तत्वों के मिश्रण से रासायनिक खाद का निर्माण किया जाता है. पोटाश, डाई, नीमकोट यूरिया, आदि. आज के विश्व में कई प्रकार के रासायनिक खाद की खोज की जा चुकी है.
जागरूक समाज में रासायनिक खाद का उचित तरीके से प्रयोग किया जाता है. विकासशील देशों में अज्ञानता के कारण इस खाद का बहुत दुरपयोग होता है.
किसानों को बेहतर फसल कैसे उगाये इसकी जानकारी के अभाव के कारण किसान अधिक मात्रा में रासायनिक खादों का उपयोग करते है. परिणाम स्वरूप मिट्टी में रासायनिक तत्वों कि मात्रा या तो बढ़ जाती है या फिर घट जाती है. उत्तर भारत में अधिकांश किसानों द्वारा अधिक उत्पादन के चक्कर में अधिक मात्रा में रासायनिक खादों का प्रयोग किया जाता है, जिसके फल स्वरूप मिट्टी की उर्वरा सक्ति कमजोर हो जाती है. विकासशील देशों में किसानों के प्रशिक्षण के लिये जागरूकता कार्यक्रम लगातार चलाये जा रहे है, पर अभी सुधार की बहुत जरूरत है.
विकसित देशों में किसानों के फसल उत्पादन के लिये उचित मॉडल बनाया गया है. कृषि उत्पादों पर निरन्तर शोध कार्यक्रम चल रहा है. भारत समेत सभी विकासशील देशों को इस विषय पर गहन मंथन करना होगा. शोध कार्य को और वैज्ञानिक बनाना होगा ताकि किसानों में जागरूकता फैलाई जा सके. जैसा कि अभी भारत में शैवाल हेल्थ कार्ड का कार्यक्रम शुरू किया गया है.
किसानों की भी जिम्मेदारी है की अपनी मिट्टी के स्वास्थ का ख्याल रखें. अधिक उत्पादन के चक्कर में भूमि की उर्वरा शक्ति को समाप्त ना करें. अधिक रासायनिक खाद का प्रयोग करने पर भूमि बंजर होने की सम्भावना अधिक होती है. दुनिया के हर कोने में हर मानव अनाज, फल, सब्जी, के लिये किसानों के उत्पादन पर ही निर्भर रहता है.
संसार के हर समाज को अपने किसानों की परेशानी को ध्यान देना होगा. किसानों को जागरूक करना होगा. किसानों की माली हालत को सुधारना होगा. जिस देश का किसान खुशहाल नहीं है, वहां का समाज कभी खुशहाल नहीं हो सकता है. दुनिया को यूरोप एवं अमेरिका के किसानों के लिये जो मॉडल है, उसका अध्धयन करना चाहिये. हमें इस वात का ध्यान रखना चाहिये कि फसल उत्पादन के वाद सबसे कम नुकसान अमेरिका और यूरोप के किसानों का होता है. भारत में 34%लगभग सब्जियाँ उचित रख रखाव के अभाव में ख़राब हो जाती है. इस उत्पादित सब्जियाँ से करोड़ो लोगों का पेट भरा जा सकता है.
आइये हम सब मिलकर एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें. जिसमें किसानों की मिट्टी की उचित जांच हो सके, तथा किसान आवश्यकता के अनुसार रासायनिक खादों का उपयोग कर सके. इसी में पूरे संसार का भला है.
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