व्यवहार और मन –सामाजिक जीवन में मानव अनेक प्रकार का व्यवहार करता है. मानव का व्यवहार परिस्थितियों के अधीन होता है. हम सब जानते है कि मानव का व्यवहार बदलता रहता है. पूरे धरती पर मानव जीवन की परिस्थितियों में अंतर पाया जाता है. मानव जीवन इस धरती पर कुदरत का वरदान है. इस संसार में मानव अनेक प्रकार की क्रियाओं को करता है. इसमें सभी क्रियाये रचनात्मक ही हो यह जरूरी नहीं है.
मानव क्रियाओं में यदि सभी रचनात्मक होती तो इस धरती पर युद्ध जैसी घटना नहीं होती. जबकि हम सब जानते है कि जितने भी युद्ध हुए है सब के सब मानव मन की उपज है. मानव का व्यवहार अनिश्चित होता है, अधिकांशतया यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है.
अतीत काल से आज तक जो समाज हम देख रहे है, वह मन की ही रूप रेखा है. मानव हाड़ मांस का एक पुतला होता है. एक मानव समाज में रह कर समाजीकरण द्वारा हर सामाजिक पहलू को सीखता है. जीवन में आगे बढ़ने के लिये उसे समाज के मापदंड को मानना पड़ता है. यदि मानव समाज के नियमों की अवहेलना करता है तो समाज उसे दंडित करता है. अधिकांश मामलों में मानव समाज के भय से सामाजिक नियमों का पालन करता है. मन का वेग बहुत तेज होता है, इसका नियंत्रण बहुत जरूरी है.
हम सभी मानव सामजिक प्राणी है. विकास वादी सामाजिक नियमों को मानना चाहिये, तथा अंधविश्वास अनुचित परम्परा का विरोध करना चाहिये. दुनिया में एक बेहतर समाज का निर्माण तभी हो सकता है जब सभी लोग समाज के सामान्य नियमों का उचित तरीके से पालन करें. हम कोई भी व्यवहार करें इस वात का हमेशा ध्यान रखें कि उससे किसी का नुकसान नहीं हो. मानवीय मुश्किलों को मानवीय तरीके से ही हल किया जा सकता है.
एक मानव केवल अपने व्यवहार को समझें, अपने परिवार, अपने देश का ख्याल रखें. काफी समस्या इसी से हल हो जायेगी. हम सभी लोगों को समाज एवं देश दुनिया में हो रहे बदलाव को समझना चाहिये. यदि बदलाव विकास एवं प्रगतिवादी हो तो उसे तुरन्त स्वीकार करना चाहिये. क्योंकि परिवर्तन प्रकृति का नियम है.
हम सब वही व्यवहार करें जो देश काल परिस्थिति के अनुसार हो. हम दुनिया के किसी भी देश में रहते हो वहां के कानून का सम्मान करें. हमेशा एक संतुलित व्यवहार करने की कोशिश करें. संतुलित व्यवहार कई परेशानियों को रोक देता है. धैर्य रखकर मन एवं व्यवहार को नियंत्रित किया जा सकता है. हम आधुनिक दुनिया से ताल मेल बनाकर चले. समन्वय वह विचार धारा है जिसपर सकारात्मक विचारों का जन्म होता है. इस धरती पर कहीं भी सब कुछ एक सीधी रेखा में नहीं होता है. दुनिया में कोने कोने में अलग अलग परम्परा एवं विचार पाया जाता है. इन सभी व्यवस्था में जो विकास वादी हो उसे लेकर आगे बढ़ना चाहिये. यही मानवता की सही प्रक्रिया है, इसी में सब का हित है.
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