Modern entertainment and society —आज 2019तक मनोरंजन के पूरे संसार में अनेक साधन उपलब्ध है. उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, एशिया, यूरोप, आस्ट्रेलिया में मनोरंजन के स्वरूप अलग अलग पाये जाते है. प्राचीनकाल में मनोरंजन के साधन बहुत सीमित थे. भारत की बात करें तो लोग जुआ, शतरंज, आदि का प्रयोग करते थे.
अधिकांश मनोरंजन के साधनों का विकास यूरोप और अमेरिका की धरती पर हुआ. आधुनिक नाइटकलब, रेस्टोरेंट, डिस्को, डांसबार आदि उपसंस्कृति का विकास यूरोप की धरती पर हुआ. प्राचीनकाल में लोगों के मनोरंजन मुख्य साधन परिवार हुआ करता था. परिवार का हर सदस्य एक दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता था, इससे परिवार में सबको मजबूती मिलती थी. जीवन में बदलाव प्राकृतिक नियमों के अनुसार होता है. औधोगिक क्रांति के बाद धीरे धीरे पूरे विश्व में विज्ञान का प्रसार हुआ. वैज्ञानिक प्रगति के कारण व्यकित में तर्क करने की क्षमता का क्रमिक रूप से विकास हुआ. यदि 1850के बाद हम देखें तो पूरे संसार में तीव्र गति से परिवर्तन हुआ.
मनोरंजन मानव के शरीर एवं मन को स्वस्थ रखने में सहायता करते हैं. आज सूचना क्रांति के बाद पूरे विश्व में सूचना और विचारों का आदान प्रदान बहुत आसान हो गया हैं. आधुनिक दुनिया में मनोरंजन के अनेक विकल्प मौजूद हैं.
इसी स्तर पर हमें यह भी निर्णय करना होगा कि स्वस्थ मनोरंजन क्या हैं और अस्वस्थ मनोरंजन क्या हैं. वह मनोरंजन जो तन और मन में ऊर्जा पैदा करें, सकारात्मक सोच विकसित करें उसे स्वस्थ मनोरंजन कहते हैं. अस्वस्थ मनोरंजन वह हैं जो मानव में नकारात्मक विचारों को जन्म दे. किसी भी व्यवस्था के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू होते हैं. महानगरीय प्रशासनिक व्यवस्था में मनोरंजन के अनेक साधन मौजूद रहते हैं. महानगरों में व्यकितगत पहचान बहुत मुश्किल से बनते हैं. बड़े शहर में युवक एवं युवती द्वारा देर रात तक मनोरंजन के लिये बाहर रहना आम बात मानी जाती हैं. इसी प्रक्रिया में नशे के अनेक रूप का जन्म होता हैं. जो नई पीढ़ी पर संकट बनकर छाया हुआ हैं.
यदि भारत की बात करें तो मै अपने गाँव का समाजशास्त्री अध्धयन किया तो चौकाने वाला आकंड़ा सामने आया. अपने घर के आस पास के 50बच्चों के अध्धयन में यह तथ्य मिला कि 80%बच्चे गुटका पान, खैनी, शराब के नशे करते हुये पाये गये. 50बच्चों में केवल तीन बच्चे ऐसे मिले जो कोई नशा नहीं करते थे. भारत के लिये यह आंकड़ा काफी सोचनीय हैं. इन सब में एक तथ्य यह पाया गया कि ये बच्चे नशा केवल मनोरंजन और मजे लेने के लिये करते हैं. 80%बच्चे जो नशा करते हुये पाये गये उनकी उम्र 11साल से 36साल के बीच पायी गयी हैं. यह मेरा निजी अध्धयन हैं. यदि ऐसे वैज्ञानिक अध्धयन पूरे देश में हो तो आंकड़े बहुत डरावने होंगे. यूरोप और अमेरिका में नशे को मनोरंजन के रूप में लिया जाता हैं. यह भी सच हैं कि इन देशों में नशे से जुड़े कानून बहुत कठोर हैं.
आधुनिक सामाजिक व्यवस्था में मनोरंजन बिना समाज गतिशील नहीं हो सकता हैं. लेकिन हम सब का दायित्व हैं कि हम खुद तथा अपने बच्चों को स्वस्थ मनोरंजन देने के लिये प्रयास करें. बदलती दुनिया में हम वर्तमान विकास की उपेक्षा नहीं कर सकते हैं. हम सब को जो आधुनिक समय में मनोरंजन की व्यवस्था हैं उससे ताल मेल बनाकर चलना होगा. मनोरंजन व्यक्ति एवं समाज के लिये आवश्यक हैं.
मनोरंजन जीवन का उदेद्श्य नहीं हो सकता हैं. उम्मीद हैं कि हम सब जीवन में आगे बढ़ते हुये खुद तथा परिवार एवं समाज के रचनात्मक पहलू पर ध्यान देंगे. जिससे इस धरती पर मानव जीवन को तनाव मुक्त करके बेहतर बनाया जा सके.
बहुत बहुत धन्यबाद.