जीवन अनवरत चलने वाली एक प्रक्रिया है। जैसा कि मानव का स्वभाव है मानव अपने सुख के प्रति बहुत जागरूक रहता है। किसी मानव के जीवन में हमेशा सुख ही हो ऐसी बात नहीं है ।मानव को विभिन्न प्रकार के दुखों का अपने जीवन में सामना करना पड़ता है। कहा जाता है कि इंसान को खुद बिखरने नहीं देना चाहिए क्योंकि बिखरे हुए मकानों के लोग ईट तक उठा ले जाते हैं यह अपने भारतीय पृष्ठभूमि में बहुत ही संजीदगी से लागू होता है। अमेरिका में एक व्यक्ति को फांसी की सजा हुई, कुछ समय बाद उसकी फांसी की सजा का स्वरूप बदल दिया गया और यह कहा गया कि इस व्यक्ति को जिस को फांसी हुई है अनाकोंडा से टच कराया जाएगा। जिस व्यक्ति को फांसी देने की प्रक्रिया चल रही थी उस वक्त का सिर काले कपड़े से ढक दिया गया और एक व्यक्ति आता है और उसके दाहिने हाथ में सुई चुभा देता है ठीक 1:30 मिनट बाद व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। जब बाद में उस व्यक्ति का पोस्टमार्टम किया गया तो पता चला कि इस व्यक्ति को अनाकोंडा ने नहीं टच किया था केवल सुई चुभा ही गई थी। प्यारे मित्र मेरे कहने का मतलब यह है कि जो यह विचार है या मस्तिष्क की संरचना है । उसमें मानव मन की क्षमता ही सर्वोपरि है। आमतौर पर कहा भी जाता है कि मन के हारे हार है मन के जीते जीत। इन्हीं विचारों को दूसरे ढंग से भी हम समझ सकते हैं कि कुछ भी नहीं असंभव यदि ठान लीजिए। शुरू में जब भी आप कोई कार्य करते हैं तो मुश्किलें अवश्य आती हैं, क्या इस धरती पर कोई ऐसा इंसान है जिसके पास समस्या ना हो शायद नहीं। कहा भी जाता है कि लाइफ इज नॉट ए बेड आफ रोजेस।
समस्याओं से लड़े ,हारे नहीं—— आप जिस भी देश के नागरिक हो , हम भारतीय हो सकते हैं आप अफ्रीकन हो सकते हैं ,आप अमरीकन हो सकते हैं,
दुनिया के किसी भी हिस्से के आप नागरिक हो सकते हैं ।लेकिन ज़रा आप सोचिए किसी भी क्षेत्र में यदि कोई व्यक्ति ऊंचाई पर पहुंचता है तो उसके लिए त्याग करना पड़ता है। मानव का जीवन कभी भी एक सरल रेखा में नहीं चलता है। मानव के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। जीवन के हर परेशानी के समय में वही व्यक्ति आगे बढ़ पाता है जो सदैव सामान्य रूप में बना रहता है तथा लगातार परिश्रम करता रहता है। पूरे संसार की ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं है जो पूर्ण रूप से स्थाई हो ,यानी संसार के हर व्यवस्था में कालचक्र के अनुसार परिवर्तन होता रहता है। जीवन में हर इंसान को ऐसा महसूस करना चाहिए ,ऐसा करना भी चाहिए कि सकारात्मक विचारों से प्रेरित होकर के अपने जीवन की मूल लक्ष्य की तरफ आगे बढ़े। जीवन बदलाव का नाम है ,जीवन परिवर्तन का नाम है ,जीवन सोच का नाम है ,जीवन चलने का नाम है ,जीवन जानने का नाम है ,जीवन ज्ञान प्राप्त करने का नाम है ,जीवन नये परिवर्तन को स्वीकार करने का नाम है ,जीवन एक नजरिए को भी आप मान सकते हैं ,आपके मन मस्तिष्क में जीवन के प्रति जो भी अवधारणा है या जो भी विचार आते हैं ।उनका मूल रूप से यही लक्ष्य होना चाहिए कि वह आपके अंदर सुधार ला सके चाहे वह भौतिक रूप से चाहे वैचारिक रूप से ,जीवन का यही परम लक्ष्य है।
प्यारे मित्रों भाइयों बहनों क्या आप ऐसे किसी इंसान को बता सकते हैं जिसके जीवन में केवल सुख ही सुख हो शायद नहीं । ऐसा संभव भी नहीं है इस भौतिक काल मे ?
जीवन फूलों की सेज नहीं है । एक इंसान को मानव जीवन में आने वाले नित्य नये चुनौतियों को बहुत ही सहज भाव से स्वीकार करना चाहिए। चुनौतियों का दूसरा नाम ही जीवन है।
प्यारे मित्रों कई भाई और बहनों ने मेरे ब्लॉग पर इस तरीके की मेरे मेल पर मैसेज किया कि क्या जीवन में केवल सकारात्मक घटनाएं ही होती हैं आप सब की जो समस्या है बिल्कुल सही।
मैं उन सभी भाई बहनों को इस अपनी पोस्ट के माध्यम से कहना चाहता हूं जीवन में तो नकारात्मकता भरी पड़ी है अगर हम उन नकारात्मक चीजों या विचारों के प्रति दौड़ते रहेंगे तो आखिर मानव का जीवन ही कितना बड़ा है ।हमें कोशिश ऐसी करनी चाहिए कि जीवन में सकारात्मक पहलू को स्वीकार करके नित्य नए बदलाव के लिए तैयार रहें और अपने जीवन को बनाने का प्रयास करें । मैं अपने उन सभी भाई और बहनों को कहना चाहता हूं कि आप सबको ईश्वर ने एक अवसर दिया है बेहतर जीवन जीने के लिए यह जीवन दुबारा प्राप्त होगा कि नहीं इसकी विषय में कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है लिहाजा जो भी अवसर हमें मिला है जितना भी मिला है उन सभी अवसरों को अपने विकास तथा समाज के विकास एवं देश के विकास में लगाना चाहिए।
आप सभी मित्रों भाई-बहनों का बहुत ही प्यार मुझे मिला है या बहुत ही सकारात्मक है आपकी किए गए मेल हमारे लिए प्रेरणादायक हैं जो आप सबके लिए बेहतर करने के लिए मुझे प्रेरित करते हैं। प्यारे मित्रों कमेंट लाइक और शेयर जरूर करें बहुत-बहुत धन्यवाद