- Industries and society. *——- उद्योग मानव समाज की एक आवश्यकता है. प्राचीनकाल में विनिमय का आधार वस्तुएं हुआ करती थी. वाणिज्य का विकास इटली में हुआ. सही सही स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है कि मुद्रा का विकास कहाँ हुआ. सिंधु सभ्यता से प्राचीन रोमन सभ्यता तक किसी प्रतीक (चिन्ह )से वस्तुओ के खरीदने का साक्ष्य मिलता है.
यूरोप, अमेरिका, चीन, भारत आधुनिक उत्पादन व्यवस्था के केंद्र के रूप में उभरे है. उच्च गुणवत्ता पूर्ण वस्तुओ का निर्माण यूरोप और अमेरिका की धरती पर हो रहा है. भारत आधुनिक सूचना टेक्नोलॉजी का हब बन गया है. भारत आई टी क्षेत्र में सबसे आगे है.
विकसित देशों में स्थित थोड़ा बेहतर है, क्योंकि विकसित देशों में वस्तुओ के पूर्ती की व्यवस्था बहुत पारदर्शी है. यहाँ वस्तु का मूल्य सामान्य नागरिकों के पहुंच में होती है. विकसित देशों के नागरिकों की क्रयशक्ति बहुत बेहतर होती है.
विकसित देशों में वस्तुओ के उत्पादन पर काफी शोध किया जाता है. शोध के बाद ही उत्पादन की प्रक्रिया शुरू होती है. विकसित देशों में यह भी देखा जाता है कि कि वस्तुओ के उत्पादन में कोई हानिकारक तत्व का प्रयोग तो नहीं किया गया है. यह परीक्षण की प्रक्रिया आधुनिक प्रयोगशाला में व्यवस्थित रूप से किया जाता है. विकासशील देशों में शोध का स्तर काफी कमजोर पाया जाता है.
उद्योग से कार्बन उत्सर्जन काफी अधिक होता है. दुनिया के जितने भी कारखाने है उसमे co2, so2, h2s, अन्य कार्बनिक तत्वों का उत्सर्जन होता है. यूरोप और अमेरिका ने कुछ तकनीक विकसित की है. जिससे कार्बन उत्सर्जन कम हो रहा है. इस तकनीक को पूरे संसार में फैलाना चाहिये. पूरी दुनिया को आधुनिक तकनीक का उपयोग अपने देश के लिये करना चाहिये . इससे मानवता का ही भला होगा.
आधुनिक संसार में हम सब को मिलकर इस धरती को सुरक्षित रखना है. हम फैक्ट्री बनाये लेकिन जो आधुनिक तकनीक है उसका उपयोग करें. प्रदूषण को कम से कम उतपन्न करे. कारखाने से निकले वाले कचरे का बैज्ञानिक तरिके से संरक्षण करे.
दोस्तों कमेन्ट और शेयर जरूर करे. थैंक्स.
Oey hoey meri jaan…aise hi likhna hai….now you are in stream..means..dhara me…Bhai apki ye post ne mja la diya…