आज पूरी दुनिया के अंदर लगभग 700 करोड़ से अधिक जनसंख्या हो चुकी है । दुनिया के अनेक हिस्सों में अनेक प्रकार की समस्या हमें देखने को मिलती है। अतीत काल में भी मानव का जन्म होता रहा है तथा मानव की मृत्यु भी होती रही है। आज पूरे संसार का हर मानव अनेक प्रकार की भौतिक सुख सुविधा को प्राप्त करना चाहता है। यह विचारधारा किसी भी तरीके से अनुचित भी नहीं है। विकास करना ,विकास के विषय में सोचना ,विकास के लिए नीतियां बनाना ,किसी भी समाज में स्वीकार किया जाता है ।
आज हर मानव के पास विभिन्न प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक परेशानियों का अंबार लगा हुआ है । हर इंसान चाह कर भी अपने लिए समय नहीं निकाल पा रहा है। जब एक सामान्य मानव सामान्य जीवन नहीं जी पाता है तो उसके अंदर निराशा जैसे विचार का जन्म होता है। इस पूरी धरती पर यदि निराशा है तो उन्हीं पर उम्मीद भी कायम रहती है। मैं अपने भाई बहनों से कहना चाहता हूं कि जो इस ब्लॉग के माध्यम से हम से जुड़े हैं वह केवल इस बात पर ही ध्यान दें कि जीवन में आपके लिए बहुत मुश्किल हो सकते हैं लेकिन इंसान जीना तो नहीं छोड़ देता है। जीवन का सामना आप एक युद्ध के तरीके से करें। हर मानव के जीवन में एक समय ऐसा आता है कि परिस्थितियों पर उसका कोई नियंत्रण नहीं रह जाता है ।वह केवल मूकदर्शक बनकर ही जीता है। आप किसी भी देश के नागरिक हो सकते हैं लेकिन आपको सरल और सहज रूप में आगे बढ़ना होगा।
मानव की कमजोरी———-
हर मानव के अंदर दुर्बलता पाई जाती है या दुर्बलता स्वाभाविक रूप से मानव के मस्तिष्क में निहित होती है ।इसे बहुत ही सामान्य रूप में लेना चाहिए क्योंकि मानव के ब्रेन की कार्यप्रणाली ऐसी ही है। जीवन में आगे बढ़ने के क्रम में मानव द्वारा अनेक प्रकार की गलतियां की जाती है। भूल करना बुरा नहीं है भूल को भूल ना समझना ही बुरा है। हमारे अनेक भाई बहन जो विभिन्न क्षेत्रों में लगातार काम कर रहे हैं देश और समाज के लिए। इन सभी लोगों के कड़ी मेहनत के द्वारा ही अपना देश आज इतनी मजबूत स्थिति में आ चुका है। मानव को अपनी कमजोरियों पर नियंत्रण पाने के लिए अनुशासन का सहारा लेना पड़ेगा। मानव कितना ही ज्ञानी क्यों ना हो यदि उसके पास अनुशासन नहीं है तो उसको विभिन्न प्रकार की कठिनाई का सामना करना अवश्य पड़ेगा। मानव कि यह दुर्बलता उसकी खुद की बनाई गई प्रवृत्ति के कारण ही होता है।
मानव का जीवन लगातार आगे बढ़ता जाता है। कुछ हमारे भाई बहन है जो अतीत की उधेड़बुन में लगे रहते हैं जो उचित नहीं है। यह भी सच है कि भविष्य में आपके अतीत का प्रभाव पड़ता है लेकिन अतीत के सहारे भविष्य का निर्माण नहीं किया जा सकता है। मानव जीवन में आने वाली नई परिस्थितियों के लिए नए-नए चुनौतियां आती रहती है इन चुनौतियों को बहुत ही सहज और सलीके से पार पाना होता है।
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