What is Truth of life —— जीवन में हर इंसान खुश रहना चाहता है, पर क्या व्यवहारिक जीवन में इंसान खुश रह पाता है. एक अध्ययन के अनुसार पूरे संसार में केवल 3.5% लोग अपने पेशे से खुश हैं. प्रश्न उठता है कि लगभग 97% लोग अपने पेशे से खुश नहीं है. सामान्य रूप से मैं देखूं तो इस धरती पर अधिकांश लोग संतुष्ट नहीं हैं. आज मैं दिल्ली की एक सत्य घटना का जिक्र करना चाहता हूं. यह कहानी ऐसे जोड़े की है जो दिल्ली में सम्मानित कॉलेज के छात्र थे. दोनों का ग्रेजुएशन पूरा हुआ. लड़की उच्च सम्मानित परिवार से आती थी लड़का भी मध्यम वर्ग से आता था. दोनों ने एमबीए के लिए फॉर्म भरा, संयोग से दोनों को दिल्ली में ही एक कॉलेज में दाखिला मिल गया. कालचक्र ने कुछ ऐसा चक्कर चलाया कि दोनों लोग विवाह करने के लिए सहमत हो गए. लड़की ने अपने पिता से विवाह करने की बात कही तो पिता ने साफ इंकार कर दिया. इसी बीच लड़के को एक बड़े पैकेज पर मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब लग गई. जाब ऐसी थी कि लड़के की हर महीने की कमाई 7 अंकों में थी आर्थिक मजबूती आते ही लड़के का परिवार काफी खुश हुआ. नई बहू के लिए लोग तैयारी करने लगे. उधर लड़की के पिता ने शादी करने से साफ इनकार कर दिया था. विवाह कैसे हो यह प्रश्न खड़ा हो गया था. लड़के पक्ष ने बिना लड़की के परिवार की सहमति के शादी के लिए तैयार हो गए. एक दिन ऐसा आया कि लड़की अपने घर से बिना बताए लड़के के घर आ गई, कोई रास्ता ना देख लड़के के परिवार ने लड़के और लड़की की शादी कर दी. लड़का का एक भाई छोटा और दो बहन थी, ये सभी पढ़ ही रहे थे. समय बीत रहा था कि लड़की को एक प्यारा सा बच्चा हुआ, जीवन और आगे बढ़ा एक पुत्र और पैदा हुआ. लड़के का छोटा भाई पढ़कर इंजीनियर बन गया, दो छोटी ननद थी पढ़ लिख कर सम्मानित परिवार में शादी हो गई. इस बीच लड़की का अपने पिता के परिवार से कोई संबंध नहीं था. दिल्ली में एक बेहतरीन मकान मध्यम वर्ग के लिए बनाना बड़े सम्मान की बात होती है, वह भी हो गया. लड़की ने पूरे मनोयोग से पति को मानसिक एवं शारीरिक सहयोग देती थी. लेकिन 10 वर्ष बीत जाने के बाद लड़की महसूस करती थी कि कुछ गलत है. धीरे-धीरे वह चिड़चिड़ी हो गई, कभी-कभी वह एकांत में सोचती कि क्या हो रहा है कोई उत्तर नहीं मिलता था. महिला के व्यवहार में आए बदलाव से परिवार में मारपीट और घरेलू हिंसा होने लगी. कभी-कभी ननद आती थी तो वह भी ताना देने से बाज नहीं आती थी. पति भी आए दिन पत्नी पर हाथ उठाने लगा. एक दिन हद तब हो गई उसकी तबीयत खराब थी पति ऑफिस से आया और गाली गलौज करने लगा. महिला समझ नहीं पा रही थी कि वह क्या करें, कभी वह अपने दो मासूम बच्चों को देखती तो कभी उस पल को याद करती जब वह अपने पिता के घर से वापस आई थी. 13 वर्ष बीत चुके थे उसका अपने पिता के परिवार से कोई नाता नहीं था. प्यारे दोस्तों हम सब के जीवन में बहुत कुछ ऐसा भी घटता है कि जिस पर इंसान का कोई नियंत्रण नहीं रहता है मानव की दुर्बलता बहुत कमजोर होती हैं. एक दिन वह महिला उठी उसे कुछ अपने शरीर में उत्साह नजर आया वह कुछ अपने अंदर महसूस कर रही थी ऐसा कि उसने कभी महसूस नहीं किया था. सुबह तैयार होकर वह बच्चों को स्कूल भेजकर घर से बिना बताए वह बाहर चली गई. 13 वर्ष बाद उसने ऐसा कुछ सोचा कि मैं इस नारकीय जीवन को छोड़ दूंगी. वह साहसी लड़की थी पर जीवन को आगे कैसे चलाए सोच रही थी कि उसके अपने मन में एक विचार आया कि वह अपने पिता से मिलेगी. वह हिम्मत करके अपने पिता के ऑफिस पहुंची. दरवान पुराना था वह देखकर समझ गया कि वह मालिक की बेटी है. उसने तुरंत जाकर अपने मालिक को खबर दी कि सर बिटिया ऑफिस के दरवाजे पर खड़ी है. अभी तुरंत ही उनकी एक जरूरी मीटिंग थी उन्होंने कैंसिल किया और उस दरबान से कहा कि बिटिया को बुलाओ. 13 वर्ष बाद जब बेटी का पिता से सामना हुआ, दोनों की आंखें भरी थी, पिता ने पूछा बेटा कैसे हो? बिटिया ने कोई उत्तर नहीं दिया. बेटी ने हिम्मत करके कहा कि पापा मुझे कुछ पैसा चाहिए, पिता ने कहा बेटा जो भी मेरे पास हैं आधा तुम्हारा एवं आधा तुम्हारे भाई का ही हैं जितना चाहो ले लो. बेटी ने ₹100000000 इस शर्त पर लिया कि वह कमा कर इसे वापस कर देगी.
पिता ने बेटी को रहने के लिए एक घर दिया, लेकिन पिता ने बेटी से एक वादा लिया कि तुम अपना परिवार नहीं छोड़ोगी. बेटी ने इस पर रजामंदी जाहिर की. दोस्तों जीवन किस कदर करवट लेगा यह भविष्य के गर्भ में हमेशा छिपा रहता है, प्यारे दोस्तों मेरा कहने का मतलब यह है कि किसी के जीवन में परिवर्तन आना स्वाभाविक है अगर वह रचनात्मक कार्य करता है तो परिवर्तन होकर रहेगा. ऐसा ही कुछ इस बेटी के साथ हुआ, बेटी ने कंपनी खोली कंपनी धीरे धीरे चल निकली. 2017-18में इस कंपनी का वार्षिक टर्नओवर 600करोड़ रूपये था. जीवन में कभी भी अपनी खुशियों के साथ समझौता नहीं करना चाहिए. हमें कोशिश करनी चाहिए कि हमारी खुशियों से किसी को चोट ना पहुंचे. धीरे-धीरे परिवार एवं पति खुद आकर अपनी अपनी गलतियों को माफी मांगी. सभी लोग मिलजुल कर रहने लगे. इस कहानी से जो तथ्य निकलता है कि आप अपना जीवन कैसे जीना चाहते हैं इसका निर्णय खुद करें. कभी भी अपने स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं करें. जीवन में यदि आवश्यक हो तो कठोर फैसला लेने से नहीं हिचके.
जीवन में आने वाली हर चुनौती का डटकर मुकाबला करें. यदि इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम दर्ज करना हैं तो तहलका मचाना ही होगा. जैसा कि इस लड़की ने किया. दोस्तों यह सत्य घटना हैं महिला उधमी ने खुद एक साक्षात्कार में इस बात का खुलासा किया था. दोस्तों हम सब को मिलकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिये.
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